नि:सन्देह हम अहिंसा और सौहार्द्र में विश्वास करते हैं परन्तु यह हमारा सहज स्वभाव तथा संस्कार है जो हमें हमारे पुरखों से विरासत में मिला है. इसे हमारी कमज़ोरी समझने की भूल यदि कोई करता है तो उसे शिशुपाल वध का दृश्य याद कर लेना चाहिए
सरहद से हमारे जवानों के शीश काट कर ले जाने वालों के शीश तभी तक सलामत हैं जब तक कि सेना को आदेश नहीं दे दिया जाता
जय हिन्द !
रमेश लोहिया
![]() |
vote for modi |
No comments:
Post a Comment